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Albela Khatri

अंगड़ाई मार डालेगी

नन्हे-नन्हे कन्धों पे हैं


बड़े-बड़े बस्ते लदे


बच्चों को ये महंगी पढ़ाई मार डालेगी




जाओगे सुनार की


दूकान पे तो यार


तार हो या हार,सोने की घडाई मार डालेगी



मण्डल के बण्डल से


बच निकले तो हमें


मन्दिर-ओ-मस्जिद की लड़ाई मार डालेगी



और रामजी ने इन


सब से बचा लिया तो


मल्लिका की मस्त अंगड़ाई मार डालेगी

7 comments:

श्यामल सुमन June 2, 2009 at 6:53 PM  

बहुत खूब।

लो छिन गए खिलौने बचपन भी लुट गया।
यों बोझ किताबों का दबाती है जिन्दगी।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

समय चक्र June 2, 2009 at 7:09 PM  

मल्लिका की मस्त अंगड़ाई मार डालेगी ओह गजब लिखा है जनाब

समय चक्र June 2, 2009 at 7:20 PM  

बाकी कुछ बचा तो... अंगडाई मार गई . हा हा

अनिल कान्त June 2, 2009 at 7:46 PM  

waah kya khoob likha hai
waah

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

स्वप्न मञ्जूषा June 2, 2009 at 8:09 PM  

अलबेला जी,
ख़ुदा ख़ैर करे, आप पर मल्लिका जैसी हजारों अंगड़ाईयां कुर्बान हों |
बहुत अच्छी तुकबंदी की है आपने
बधाई ही बधाई !!

गिरिजेश राव, Girijesh Rao June 2, 2009 at 10:18 PM  

नन्हे-नन्हे कन्धों पे हैं

बड़े-बड़े बस्ते लदे

इंसान तो हम हो न सके

रचते हैं रोज गधे !

संजय बेंगाणी June 3, 2009 at 11:50 AM  

कौन मल्लिका ? :)

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